ये दौलत ये शौहरत और अल्हड़ जवानी,लोगों ने समझी बस यही जिंदगानी।गए भूल ख़ुशियाँ वो बचपन की सारी,वो कागज की कश्ती और बारिश का पानी...✍️
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