Priya|प्रिय

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सब बात अधूरी रह जाती है

जज़्बात अधूरी रह जाती है

नम आँख रहे और लब पे

बस ख़ामोशी का तूफ़ाँ रहता

     जब हिय के प्रिय पास न हों।


प्रसन्न मन सब सुखमय लगता

नींद सुकूँ से आती है

पर तन्हा सारा लम्हा है

चोट दिल पे जब लग जाती है

कलम बयाँ करती है सब पीड़ा

    जब हिय के प्रिय पास न हों...✍️

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