तुम हो| Tum ho

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तुम हो| gskidiary

कुछ और तमन्ना क्या करना ।
जब मेरे संग साथी तुम हो।।

तुम्हीं भाव और तुम्हीं हो पूजा
कामना तुम और तुम्हीं प्रार्थना
तुम्हीं गुरु की वाणी, सत्संग
तुम्हीं आरती और आराधना

और कैसे कोई भाए हृदय को।
जब मेरे सुख दुःख की सारथी तुम हो।।

जीवन की अनमोल सादगी
या चंचल मन के रंग अनेक
हृदय भाव हिचकोले लेती
प्रेम स्वप्न की तरंग प्रत्येक

आशाओं की प्यारी दुनिया।
सदृश्य अदृश्य सब तुम हो।।

है गगन तक उड़ान हमारी
पर तुमसे हैं बंधे हुए
सब योग, ध्यान और जप साधना
तुमसे सिद्ध हैं सधे हुए

दूर भले हैं भौतिकता में।
किन्तु हिय पृथक हुए कब तुम हो।।

तुम पर लिख दूँ लेख सहस्त्र
इसमें तनिक भी लेस नहीं
तुमसे ही सब रचना मेरी
उसके अतिरिक्त अशेष नहीं

तुम गुरु का शब्द अलंकार।
एहसासों का शब्दकोश सब तुम हो।।
कुछ और तमन्ना क्या करना ।
जब मेरे संग साथी तुम हो।।

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