Sabko pagal sa lagta tha| सबको पागल सा लगता था

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सबको पागल सा लगता था 

जो खोने से तुम्हें डरता रहा।

अपना सब कुछ खोकर भी

प्रयास तेरे लिए करता रहा।।

जिसको किसी के जाने से फर्क नहीं पड़ा।

वो तेरे जाने से रोता रहा ख़ुद से लड़ता रहा।।

जो समझता था तुम्हारी नाराजगी को तुम्हारे अनदेखे को।

फिर भी रिश्ता बचाने की कोशिशें करता रहा।।

सब कुछ सहता रहा जो ख़ामोशी से।

वह अपनो के साथ को तरसता रहा।।

अपनों के ख़ातिर भूल गया अपनी ख़ुशियाँ अपने सपने।

फिर भी हर अपना उलझाता रहा और वो उलझता रहा ।।।

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