दुर्गा जी की आरती | Durga Ji ki Arti | अम्बे माँ की आरती | Ambe Maa ki arti

दुर्गा जी की आरती | Durga Ji ki Arti | अम्बे माँ की आरती | Ambe Maa ki arti  आरती | Ambe माँ ki arti | Arti Sngrah| Durga ji ki arti 'अंबे तू है जगदंबे काली…-Ambe tu hai Jagdambe kali|Durga ji ki arti-gskidiary
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अम्बे जी की आरती

 
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली

तेरे ही गुण गाएँ भारती,
 ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।-2

माता तेरे भक्तजनों पर भीड़ पड़ी है भारी
माँ भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो माँ, दानव दल पर टूट पड़ो माँ
करके सिंह सवारी
सौ सौ सिंहों से बलशाली, अष्टभुजाओं वाली
दुष्टों को पल में सँहारती।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती...✍️

माँ बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता माँ
बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत कपूत सुने हैं पर ना, पूत कपूत सुने हैं पर ना
माता सुनी कुमाता
सब पे करुणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली
दुःखियों के दुःखड़े निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती...✍️

नहीं माँगते धन और दौलत न चाँदी सोना माँ
ना चाँदी सोना।
हम तो माँगे माँ तेरे मन में, हम तो माँगे माँ तेरे मन में
एक छोटा सा कोना।
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली
सतियों के सत को सँवारती।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।

चरण शरण में खड़े तुम्हारी ले पूजा की थाली माँ
ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पे रख दो माँ, वरद हस्त सर पे रख दो माँ
संकट हरने वाली।
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, ममता लुटाने वाली
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती...

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गाएँ भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।

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