Poetry|gskidiary |
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की...✍️
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कैसे देख लें स्वप्न हम ऊँचे उड़ान की,
सारी ख्वाहिशें मेरी अब लगती हैं बेजान सी।
जबसे छले गए हम उबर पाए नहीं
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
उनके साथ मेरे सजीव स्वप्न हजार हैं
उनके बिना जैसे हम बरसों से बीमार हैं।
कुछ तो खो गया है जिससे सुकूँ तमाम थी
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
मेरे अनकहे लफ़्जों को महसूस करता,
काश मेरे दिल का वो ख़ुलूस समझता ।
नियत तो मेरी है रिश्तों में परवान की
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
ख़्यालों में यूँ ही कोई ख़्याल आ गया,
गुमनाम सा कोई इस दिल पे छा गया।
उलझने तमाम हो रहीं बेलगाम सी,
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
बेसब्र बहुत है दिल जज़्बात अपना कहने को,
कलम भी सज्ज है कोरे पन्ने पर लिखने को।
डायरी पलक झपका रही एक बेज़ुबान सी,
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
हम सबके लेकिन हमारा, कोई भी न हो सका,
वो उतना साथ रहा जो जितना मुझसे खेल सका।
चाह नहीं बाकी कोई रिश्तों और सम्मान की
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
जैसे वो रूठ गया, मैं तो बिल्कुल टूट गया
उसका साथ बस दो कदमों में ज्यों मुझसे छूट गया।
अब भला क्या फिक्र करूँ इस दिलो- जान की
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
कभी रात आँखें मेरी थी उसके लिए जागती
अब उलझनें ऐसी की आँखें रात खुली काटती।
एक दिन यकीनन आएगी रात मेरे आराम की
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
अक्सर अकेले में उससे बातें करने का मन था
पर दुर्भाग्य से अब रहा कहाँ ऐसा जीवन था।
उसे तवज़्ज़ो दिया नहीं जिससे मेरी पहचान थी
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
जाने कब शामत आ जाये इस किराये मकान की
दिल से शुक्रिया दुनिया के सारे मेहरबान की।
सब गिला शिकवा हमने मिटा दिया मुस्कान से
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की।।
बेफ़िक्र हुआ तबसे दिल दुनिया के अंजाम से
जब व्यस्त नज़र आये सब अपने अपने काम से।
छलनी दिल एहसास कोई गुरु यार टिकता ही नहीं
अब तो हर घड़ी चल रही बस इम्तिहान की ।।
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