Ichha|इच्छा|Man|मन

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न कहीं जाने की इच्छा है,
न किसी से मिलने की इच्छा है।
कोई अब अच्छा नहीं लगता ,
कुछ भी सच्चा नहीं लगता।।
शायद एकाँत से दीवानगी
बेशुमार हो गया है,
लगता है आज कल
ये मन बीमार हो गया है।
कोई ख़ुशी अब नहीं भाती,
अब हँसी भी नहीं आती।।
कहीं मौत के किस्से
किसी की बेवफ़ाई का ग़म।
न कुछ महसूस होता है
न असर करते हैं ज़ख्म।।
अब वो नहीं रहा ज़िंदा
हर आहट को ख़बर कर दो।
वैसे कुछ बाकी रहा न अब
गर है बाकी तो क़हर कर दो।।
न मौत का है खौफ़
न जीवन की इच्छा है।
न चाहत है कोई दिल की
न किसी से मिलने की इच्छा है...✍️

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