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ज़िन्दगी

मैं आज भी हूँ टूटा हुआ,
है अभी सहारे की ज़रूरत मुझे।
सारी गलतियाँ ख़ुद से मान ली,
नहीं किसी से शिकायत मुझे।।
मैं नादान था तो बहक गया,
भूल मुझसे ही हुई।
वो शानो-शौकत चैनों-सुकूँ,
दूर मुझसे ही हुई।।
ठुकराया गया दर-ब-दर,
पर आई न क़यामत मुझे।
अफ़सोस हर उम्मीद टूटी,
छोड़ गई मुस्कराहट मुझे।।
कोई तो उम्मीद की,
कहीं राह कोई आये नज़र।
देना हो तो साथ दे,
सान्तवना न देने आए मगर।।
तड़पा रही हर पल है अब,
ज़िन्दगी की हक़ीकत मुझे।
होने लगी है धीरे धीरे,
मौत से मोहब्बत मुझे।।

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