Hindi Poetry| हिंदी कविता- हुनर | Hindi Poem

हुनर| Hindi Poetry|हिंदी कविता

हुनर 

मैं डरता नहीं अंधेरों से,
मुझे अपने हुनर पर भरोसा है।
सूरज ही तो ढला है अभी,
रौशनी को किसने रोका है।।
मैं उजाले को खींच लाने की,
हर आजमाईशें जानता हूँ।
किस्मत का तो नाम है केवल,
मैं अपनी मेहनती कोशिशें जानता हूँ।।

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