तुम्हारी बातें

Hindi Kavita | gskidiary


तुम्हारी बातें 

दिन उदासियों में गुजरा , जब याद आयी तुम्हारी बातें।
शाम को गज़ल चाय पर, आई थी मुँह लटका के।।
सुबह याद आती है कि, ली थी अनगिने करवटें।
तुम थी तो कैसा था मैं इस सोच में ही कट जाती हैं रातें।।
महफ़िल-महफ़िल तन्हा घूमूँ मेरी खैर कोई न मांगे।
कतरा-कतरा छलनी करती,दिल को तेरी यादें।।
दर्द के मारे ऐ दिल बंजारे जाएँ तो कहाँ जाएँ।
पल-पल पीछा करती हैं बेदर्द उन्हीं की यादें।।
हम अधूरे ख्वाहिश अधूरी अधूरे मेरे ख़्वाब रह गये।
टूट-टूट कर चूर हो रही, गुरु मेरी अब सांसे।।

Post a Comment

0 Comments