कोरोना पर रचना : दोस्तों , हम सभी ने किसी न किसी रूप में कोरोना के मार से परेशान हुए हैं। आज आपके साथ कुछ पंक्तियाँ साझा की हैं , आशा है आपको पसंद आयेंगी। अपनी सुझाव या प्रतिक्रिया भी अवश्य दें , हमें प्रसन्नता होगी ।
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Corona Virus | gskidiary
कोरोना प्रकृति से खेल कितना भारी पड़ गया। एक गलती का खामियाज़ा सबको भुगतना पड़ गया।।
अहंकार के नशे में इन्सान इतना चकरा बैठा। ईश्वर की बनायी दुनिया में उन्हीं से टकरा बैठा।।
इतना बड़ा इन्सान एक सूक्ष्म जीव से हार रहा। अनगिनत इन्सानों को देखो ये कैसे मार रहा।।
ये ईश्वर का पैग़ाम है , सुनो ऐ संसार। मालिक नहीं यहाँ का तू , सिर्फ़ है किरायेदार।।
यदि अब भी न समझा गुरु , मानव ने यह सार। तो एक विषाणु मात्र अकेला, ले डूबेगा संसार।। |
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