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Dhoondha kitna usko maine|gskidiary|bg:yq |
ढूँढ़ा कितना उसको मैंने
गली गली हर नगर नगर में
जब झाँका स्वयँ हृदय को
पाया अपने अंतर्मन में।
साँझ मुंडेर पर बैठा मैं
गीत उन्हीं के गाता हूँ
दौड़े आते हैं महादेव
मैं जब भी उन्हें बुलाता था।।
अब निशि-दिन मेरे नैनों से
अश्रु धारा बहती है
एक दिन सदा को पा जाऊँगा
हर अश्रु बूँद ये कहती है।
अब जनम जनम उनसे ही
हृदय प्रीत लगाऊँगा
उनके प्रेम में गुरु अब मैं
अनन्य सदी बिताऊँगा...✍️
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