मैं चाहता हूँ | Mai chahta hu

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 मैं चाहता हूँ...✍️

सुनो,
मैं चाहता हूँ , तुम मुझे समझो एक दिन
जब तक मेरी साँसे लयबद्ध हैं।
कई दिनों तक जब मेरी तुमसे बात न हो
जब किसी सन्देश का उत्तर प्राप्त न हो
तुम मेरा नम्बर डायल करो
और उत्तर न मिले
तुम बार बार प्रयास करो
किन्तु निराशा ही हाथ लगे
तुम सन्देश भेजो
और कभी उसका उत्तर न मिले
तुम्हें मेरी परवाह सताये
तुम मुझे डिजिटल दुनिया में ढूंढ़ो
फिर तुम अपने फोन में मेरी फ़ोटो ढूँढो
मुझे देखो और सोचो
मेरी हर वो बात
जिसमें केवल तुम्हारी परवाह थी
मेरी अजीब से आवाज
मेरा चेहरा वो लम्हें
जिसमें हम मिले थे
मुझमें तुम्हारी वो पसन्द
जो तुम्हारे लिए भरोसेमंद थी
अब तुम और भी अधिक बेचैन हो
उत्सुकता वश तुम मेरे सम्पर्क के
सभी लोगों से मेरा हाल जानने को
बेचैन हो जाओ
और सभी जगह से
तुम्हें निराश करने वाले उत्तर मिले
और तुम्हें सब कुछ याद आने लगे
मेरी यादों से परेशान होकर
जब तुम्हारी नींद रूठ जाए
केवल मेरे बारे में सोचते रहो
फिर से मेरा नम्बर डायल करो
जानते हुए भी की उस ओर से
मैं उत्तर देने में असमर्थ हूँ
फिर से मेरी तस्वीर देखो
और तुम्हें मुझ पर गुस्सा आये,
मेरे प्रति हजार शिकायतें मन में भर जायें
मेरी यादों से चिढ़ होने लगे
तुम्हें रोने का मन करे
लेकिन रो न सको
फिर तुम्हें सच का एहसास हो
कि मैं किस हाल में रहा तुम्हारे बिन.?
तुमसे दिल की परेशानी न कह पाना
कितनी बड़ी परेशानी थी मेरे लिए..?
खुद में ही टूट जाना क्या होता है...?
उलझने हर पल सताने लगें
कुछ भी अच्छा न लगे
किसी चीज में मन न लगे
बस मुझसे मिलने का दिल करे
किसी भी हाल में किसी भी तरह
बस अंतिम बार मुझे देखना चाहो
मेरी आवाज सुनना चाहो
मुझसे गले लग कर
जी भर के रोना चाहो
तुम पागल से हो जाओ
उस रिश्ते के लिए
उस भाव की सच्चाई के लिए
उस साथ को उस सुकून को
जो शायद सिर्फ़ मुझसे मिलता
तुम्हारे माथे को चूमने वाला,
तुम्हे सीने से लगाने वाला...
कहीं दूर एकांत में.
किसी शहर की गुमनाम सी गलीयों में..
आधी रात को एक कमरे में,,
वो हर एक सन्देश पढ़ना...
जो मैंने भेजा था
फिर वो मिटा देना..
तुम्हें महसूस होगा मेरे दिल का टूटना,
मेरे अकेलेपन की चिड़चिड़ाहट का..
किसी से कुछ न कह पाने की बेबसी..
ऐसी उलझन और बेचैनी
जिसमें नींद की गोलियां भी
बेअसर लगने लगे..
हर वक़्त..
सोते जागते,मैं ही याद आऊँ..
बस मैं ही हर पल
तुम्हारे जेहन में घूमता रहूँ...
उस वक़्त जब ये सब होगा..
शायद तुम समझ जाओगे..
मेरी वास्तविकता को
तुमको क्या मिला था..?
और तुमने क्या खो दिया...?
तब तुम्हें समझ आएगा...
मेरे निःशब्द रहने का अर्थ
मैं ये सब शायद चाहता हूँ
लेकिन नहीं
मैं तुम्हें कभी भी
दुःखी नहीं देखना चाहता
मेरी रूह भी
तुम्हारी नम आँखें नहीं देख पाएगी
तुम मेरे हृदय की अतिप्रिय सन्देश हो
सच में तुम मेरे लिए बहुत विशेष हो...✍️

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