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मुझको कैसे ढूंढोगे
एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम मुझको सोचोगे
उस दिन मेरे यादों को तुम भला कैसे रोकोगे
अभी तलक तो साथ हैं हम आगे रब जाने क्या होगा
गर हम कहीं खो जाएंगे तो मुझको कैसे ढूंढोगे।
मेरे भावों को अल्प हर्फ़ में तुम इक बार समझ लेना
फिर चाहे घड़ी घड़ी पर तुम अनगिनत ताने देना
वचन तुम्हें जो भी देंगे, स्वांस अंतिम नहीं नकारूँगा
तुम्हारी हर शिकायत को, सर झुका स्विकारूँगा
हमें भूलना आसाँ होगा मेरी बातें कैसे भूलोगे
गर हम कहीं खो जाएंगे तो मुझको कैसे ढूंढोगे।।
भले कुछ न दे सकें तुम्हें हम , भले न कुछ हम कह सकें
भले न सुना पाऊँ किस्से, भले न कुछ साझा कर सकें
पर कोई तो क्षण जीवन का तुमको यादों में दे जाएँगे
जिनसे तेरे चेहरे पर खुशियों के रौनक ले आएंगे
इसी तरह क्या हमेशा तुम, मेरा हाल किसी से पूछोगे
दोस्त कहीं मैं खो जाऊँ तो क्या फ़िर मुझे तुम ढूंढोगे।।।
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