ये त्याग तप पीड़ा, और परिश्रम का जो दान हो रहा है।
तेरे इस निवेश में, भविष्य आसान हो रहा है।
सरल नहीं हर किसी के लिए, ये पथ मेरे मित्र।
ये अडिग लगन ही तेरा पहचान हो रहा है।।
सुलझे, सौम्य धैर्य की प्रतिमा हो तुम।
भविष्य भानु उन्नति का उदयमान हो रहा है।।
बहकने की अवस्था में, स्वनियंत्रण बना ले।
तू ऐसा सधा कर्मनिष्ठ प्रतीकमान हो रहा है।
छवि स्नेहिल सौंदर्य, वाणी मधु मिश्री सी।
सब धरा तेरे संगी, तू आसमान हो रहा है।
तुझे समय ही नहीं , जो व्यर्थ अपनाये कोई राह।
हर घड़ी पहर तेरे, भविष्य का निर्माण हो रहा है।।
कह रहा दिल, तू समर्थ है कुछ भी करने को।
तेरी उन्नति का ईश्वरीय वरदान हो रहा है।
तुम चाहो तो पत्थरो में, ऊगा दो फसल।
हार मानो तो सब रेगिस्तान हो रहा है।
तुम आये हो धरा पे, तो विशेष हो यहाँ।
अवश्य कोई जिम्मेवारी, तेरे नाम हो रहा है।
मत रोक स्वयं को किसी अतीत के ठोकर से।
वर्तमान के परिश्रम से भविष्य पूज्यवान हो रहा है।।
सरल नहीं हर किसी के लिए, ये पथ मेरे मित्र।
ये अडिग लगन ही तेरा पहचान हो रहा है।।
सुलझे, सौम्य धैर्य की प्रतिमा हो तुम।
भविष्य भानु उन्नति का उदयमान हो रहा है।।
बहकने की अवस्था में, स्वनियंत्रण बना ले।
तू ऐसा सधा कर्मनिष्ठ प्रतीकमान हो रहा है।
छवि स्नेहिल सौंदर्य, वाणी मधु मिश्री सी।
सब धरा तेरे संगी, तू आसमान हो रहा है।
तुझे समय ही नहीं , जो व्यर्थ अपनाये कोई राह।
हर घड़ी पहर तेरे, भविष्य का निर्माण हो रहा है।।
कह रहा दिल, तू समर्थ है कुछ भी करने को।
तेरी उन्नति का ईश्वरीय वरदान हो रहा है।
तुम चाहो तो पत्थरो में, ऊगा दो फसल।
हार मानो तो सब रेगिस्तान हो रहा है।
तुम आये हो धरा पे, तो विशेष हो यहाँ।
अवश्य कोई जिम्मेवारी, तेरे नाम हो रहा है।
मत रोक स्वयं को किसी अतीत के ठोकर से।
वर्तमान के परिश्रम से भविष्य पूज्यवान हो रहा है।।
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