मेरी प्रतीक्षा
आज फिर तुमसे बात हुई
आज फिर घड़ी कुछ खास हुई
लम्हा लम्हा सदियों सा
समय बह रहा नदियों सा
कि अंत छोर कोई आएगा
मैं तुझसे तू हमसे मिल जाएगा
तुम्हारी ज्यों हो रही परीक्षा है
बस वैसे ही मेरी प्रतीक्षा है
पता नहीं हम क्या होंगे
किस कोने पर कहाँ होंगे
ईश्वर बस इतनी मुझमें साँस रखे
ये दोस्ती जब तक साथ रहे
तुम और भी बेहतर बन जाओगे
कोई जीवन रंग में रंग जाओगे
तुम्हें मन से सदा पुकारेंगे हम
क्या तब भी मुझे तुम सुन पाओगे
समय, मौसम,लोग सब बदल जाएंगे
सिर्फ़ तुमको आज सा कल पाएंगे
रिश्तों में एक तुम साँची हो।
मेरी सबसे प्रिय सखी सताक्षी हो।।
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