अम्बर का ध्रुव तारा

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अम्बर का ध्रुव तारा


लोग कहते हैं जो दुनिया से
विदा लेकर जाता है गुरु
वो अम्बर का ध्रुव तारा बन जाता है
क्या तुम भी..
मुझे त्याग कर अम्बर
में जाकर बस गए हो
या फिर मेरा त्याग
कोई निज स्वार्थ में किया है।
मैं रात के सारे पहर
गगन की ओर देखता हूँ
मेरी दृष्टि हर तारे में
तुम्हारी उपस्थिति खोजती है
बहुत सारे तारे हैं
परन्तु उनमें तुम नहीं
क्योंकि वो मध्यम रोशनी
में टिमटिमा रहे हैं
और तुम तो पहले से ही सितारे थे
जो धरती पर
भव्य,तेज और सौंदर्य का परिचय था
जिसे देख हर कोई
स्वयं को भूल जाता था।।

एक सितारा जो सबसे अलग
जो सबसे अधिक तेजपुंज
से प्रकाशमय हो रहा है
कदाचित् तुम वही हो
अत्यंत सुंदर , आकर्षित
आभामण्डल में कांतिमय
दिव्य प्रकाश से सुसज्जित
परिपूर्ण अलौकिक ऊर्जामय
कृष्णरात्रि में दीप्तिमान
दिवस गोचर सितारा
एकमात्र हृदय सरस
तुमने अवश्य ही धरा सी
एक विशेष कीर्तिमान
अपनी भव्यता का बनाया होगा।

प्रायः मैंने नभमंडल में
एक रेखा देखी है
जो कदाचित् टूटते सितारे हैं
उन्हें देखकर
सदैव मन्नतें मांगता हूं
तुम फिर मिलो
मुझ अभागे को
अगले जन्म में
तुम्हारा हृदय से
प्रेमपूर्ण भाव से
प्रतीक्षारत रहूंगा
सात जन्मों तक
अंतिम साँस तक।।

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