एक दोस्ती ऐसी भी


एक अजनबी, जो किस्मत से मिल जाते हैं।
जीवन की फुलवारी में याराना खिल जाते हैं,
पहले अजनबी फिर यार बन गए,
धीरे धीरे एक दूसरे के तलबगार बन गए,
ये दोस्त भी न, भगवान की तरह कहीं भी मिल जाते हैं,
किसी मोड़ पर मिल जाते हैं तो किसी गली में मिल जाते हैं,
कोई कॉलेज में मिल जाते हैं कोई हॉस्टल में मिल जाते हैं,
कोई ऑफिस में मिल जाते हैं तो कभी ख़्वाहिश में मिल जाते हैं,
कुछ दोस्त जो क्लास छोड़कर घूमने वाले,
तो कुछ चाय स्टाल पर दिल देने वाले,
कभी मेरी वजह से लड़ाई किया तो कभी मुझे गालियां खिलाईं
पर दोस्ती सबने अपनी तरफ से शानदार तरीके से निभाई,
बहुत सारी बातों का कीड़ा था किसी में,
तो परीक्षा में पास होने का पीड़ा था किसी में,
और हाँ पार्टी तो हमारी छोटी-छोटी बातों पर अक्सर हो जाया करती थी।
पार्टी में बस लड़कियों के चर्चे और कटिंग चाय मिल जाया करती थी।।
हम सब साँवली चाय के दीवाने थे,
चाय पर हम सब टेंसन से बेगाने थे,
कुछ दोस्त मेरे बेस्ट हुए,
तो कुछ सीक्रेट सिलेक्ट हुए,
ज्यादातर दोस्तों के दिल मिले,
और मेरे हाँथ में रक्षासूत्र बंधे,
एक दौर आया जब हंसाने वालों ने रुलाया
अपने जिये वक़्त की बहुत सारी यादों का खज़ाना हम लेकर विदा लिए थे,
नम आँखों से सबने मिलने के वादे दिए थे,
अब हर कोई अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गया,
अब कहाँ वो शरारतों का वक़्त रह गया अब पैसों के ढेर लगाने में सब जुट गए हैं,
रिश्ते वो दोस्ती वाले जैसे लुट गए हैं,
ये कहानी या ख़्वाबों का अल्फ़ाज़ नहीं है,
ये मैंने जो जिया है बस वो बात कही है।।

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