जाते हुए वर्ष की, विदाई का ये शाम है |
आज की शाम, सभी अपनों के नाम है ||
बच्चों को प्यार बड़ों को प्रणाम है |
सभी के लबों पे थिरकती, खुशियों की पैैैग़ाम है ||
हर शाम अंतिम वर्ष की, लाती है एक नयी ख़ुशी |
इन खुशियों की भीड़ मे, सारे ग़म हो जाते गुमनाम हैं ||
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