23 मार्च 2021 को दिन था मंगलवार ।
एक अनोखी कल्पना हुई थी साकार।।
5 बजकर 14 मिनट था शुभ सँध्या का समय आया।।
जब योरकोट ने अतुलनीय दोस्त से हमें मिलाया।
रचना कविता यूट्यूब से हुई थी शुरुआत।
धीरे धीरे हुई दोस्ती और बढ़ी फिर बात।।
और बढ़ी फिर बात ऐसी
कि हम हैं अब तक साथ।
अब दोस्त कहकर न छोड़ना
अपनी दोस्ती का हाथ।।
तेरी दोस्ती का हाथ है
मेरे मुश्किलों में हौसलें।
तेरी दोस्ती सही कर गयी
इस बार मेरे ये फैसले।।
घर परिवार तुम्हारा सब
मुझे बन सहयोगी सखा मिले।
तेरी अनोखी, मासूम दोस्ती
जैसे कोई नील कमल खिले
तुम्हारे शब्द और भावनाएं
दिल में घर कर जाती हैं
मेरे उदास चेहरे पर
अक्सर हँसी बिख़र जाती है
तुम्हारे उपहार और लेख सभी
स्मृति स्वरूप सहेजे हैं।
इतने अनमोल भेंट सभी
जैसे धड़कन और कलेजे हैं
है बहुत भाव मगर
शब्द नहीं पर्याप्त हैं
शुरू से लेकर अब तक का
कुछ शब्दों में व्याप्त है
मैं नहीं मित्र अच्छा रहा
फिर भी करते प्रयास हैं
दोस्त मेरा सब समझेगा
सदा रहता ये विश्वास है
तुम जीवन में हर बुलन्दी छूना
है हृदय की यही कामना
सदा तुम्हारी विजय हो
है नित मेरी यही प्रार्थना
जब तुम उन्नति के सन्तुष्टि से
स्वच्छन्द अधरों से मुस्काओगे
गर्व से कहूँगा ये दोस्त है मेरा
और तुम मेरा मान बढ़ाओगे
तेरा नाम ले लेकर सबको
प्रेरक गीत सुनाऊंगा
ऊर्जा, शक्ति, लगन, परिश्रम का
उचित उदाहरण दिखाऊंगा
मेरे जीवन में भी सुंदर छवि की
दोस्ती अपनी साक्षी होगी।
स्वानुशाषित, संयम, धैर्य की
सुंदर प्रतीक शताक्षी होगी।।
आज हो गए पूरे बरस दो
दोस्ती के अद्भुत साधना
मित्रता की वर्षगांठ पर
हृदय से अति शुभकामना
क्षमा करो सब भूल चूक
गुरु दोस्ती पर बलिहारी है।
सबसे पावन इस दुनिया में
दोस्ती तुम्हारी और हमारी है।।
भाव जड़ित उपहार हमारा
इस आभूषण का श्रृंगार करो।
शब्दों का कुसुम भेंट कर रहा
मित्र सहर्ष स्वीकार करो।।
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