देखो, हम भावनाओं में..✍️
देखो,
हम भावनाओं में
ख़ुद को कैसे बहाते रहे
ठोकर लगती रही ज़ख्म सहते रहे
बड़ी सादगी से
सदा मुस्कराते रहे।
देखो,
हम भावनाओं में...
दोस्ती और इश्क़ की तुलना कहाँ
गज़ल दोनों की हम गुनगुनाते रहे
मेरे सारे ग़ुरूर थे चकनाचूर
फिर भी रिश्ते हम सारे निभाते रहे।।
देखो,
हम भावनाओं में...
न रहने दिया कोई मुझे चैन से
हम महफ़िल रहें या अकेले रहें
जब दर्द ही हमारा दवा है तो
सारा जीवन क्यों आँसू बहाते रहें
देखो,
हम भावनाओं में...।
ज़िंदा तो है पर वो ज़िन्दगी नहीं
अब ख़ुदाया सा वो न बन्दगी रही
हम जानें बहुत पर कोई समझा नहीं
भला किस किस को हम समझाते रहें
देखो,
हम भावनाओं में...।।
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