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मैं लड़का था मुझसे यूँ अश्क़ बहाया न गया।
हाल अपने दिल का किसी से बताया न गया।।
जिंदगी ने कदम कदम मारे थप्पड़ पुचकार के।
पर दर्द -ओ-निशाँ हमसे दिखाया न गया।।
पहली बार टूटा भरोसा एक इज़हार में।
कुछ भी न सच हुआ उसके इक़रार में।।
मैं टूटा इस तरह कि राह-ए-मौत चुन लिया।
दिल के हर दरार को पारस धागे से बुन लिया।।
है दोस्तों का शुक्रिया जो मेरे साथ थे खड़े।
लिया मुझे सम्हाल और किये एहसान बहुत बड़े।।
ये बात आज तक हमसे भुलाया न गया।
मैं लड़का था मुझसे यूँ......
अभी सम्हला ही था कि वक़्त बुरा यार आ गया
घर की जिम्मेदारियों का मुझपे भार आ गया।।
हर तरफ हुआ घाटा और हो गया मुझपे कर्ज़।
सिर्फ़ निराशा बेबसी और इक तऱफ था फ़र्ज़।।
फर्ज़ को रहा निभा सब अपना निसार के।
गुरु मैं तो जिये जा रहा जीवन उधार के।।
अपनी ख़ामोशियों का किस्सा किसी को सुनाया न गया।
मैं लड़का था मुझसे यूँ...
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