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बहुत टूटे हुए थे सफ़र ए जिंदगी में
तुमसे मिलकर हम ख़ुद को समेटने लगे
कहीं खो ना जाओ दुनिया की भीड़ में
इसलिए कविताओं में तुम्हें भेंटने लगे।
तेरी दोस्ती ने फिर से मुझे ज़िंदा किया
मुझ बेदम को उड़ता परिंदा किया
भटके हुए थे यार अब सम्हलने लगे
देख किरदार में फिर से चलने लगे ।।
तेरी दोस्ती मुझको सँवारने लगी
मेरे शब्दों में अलंकार निखारने लगी
मैं रहूँ जब तलक इस दुनिया में कहीं
ख्वाहिश है दोस्ती कभी टूटे नहीं ।
भूल जाये जमाना कोई गम नहीं
बस दोस्त तू मुझको भुलाना नहीं
साथ जीवन के हर पल तू शामिल रहे
गुरु ये जीवन भले दिन चार रहे न रहे ।।
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