पितृपक्ष विशेष - पितृपक्ष अर्थात पितरों का पक्ष, अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या अर्थात पन्द्रह दिन तक पितृपक्ष (पितृ = पिता) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं। सनातन संस्कृति के अनुसार माता-पिता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात् उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।
आज का लेख पित्तरों के नाम से समर्पित है🙏😌
जिनके हम वँशज हैं, है जिनसे उद्गम।
पितृपक्ष की बेला पर उन सबको मेरा नमन।।
हो गए पित्तरों में शामिल, थे कभी जो साथ।
हृदय से उनका स्वागत है, जोड़कर दोनों हाथ।।
भूल चूक सभी क्षमा करो, दूर करो सब पाप।
अपनी कृपा दृष्टि से हर लो दुःख सन्ताप।।
आपके वँशज हैं हम, है आपका परिवार।
सुख सौभाग्य से भरा रहे मेरा घर द्वार।।
आपका आशीर्वाद रहे, हो जीवन राजयोग।
सभी दोष पीड़ा मिटे, रहें सदा निरोग।।
आपके ही रक्त हम, हैं आपके सन्तान।
आपसे ही अस्तित्व मेरा, आपसे ही पहचान।।
सभी पित्तरों को मेरा सादर नमन🙏😌
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