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पुकार लो
फिर लौटकर न आएँगे हम
अभी पुकार लो तो पुकार लो...✍️
हम फिर से ज़िंदा हो जाएँगे
गर तुम दिल से एक आवाज़ दो
मेरे हर्फ़ कोई
ज्ञान की डिग्री से हासिल नहीं ।
ये जो भी हैं
दिल के एहसास से रूबरू रहीं।।
ओ बात और है
शब्द सजावटें नहीं आयी मुझे।
टूटकर बिखर गई
ख़्वाहिशें रेत की भरी।।
साथ दो मेरा
गर मुझपे ऐतबार हो।
फ़िर लौटकर न...✍️
साल का आख़िरी महीना और
पूष की रात सी है अब जिंदगी मेरी।
देखो हर ओर बिखरे पड़ें हैं
सारी बन्दगी मेरी।।
बड़ी कोशिशों बाद
फिर था जीने का दिल हुआ।
गुरु फिर मैं हार गया
नहीं कुछ हासिल हुआ।।
सब झूठ है, स्वार्थ है बस
अब जिंदगी रुख़्सते तलबगार हो
फिर लौटकर न...✍️
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