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एक लड़कीमेरे स्वर की आहट सुन प्रायः, झरोखे से निहारने वाली लड़की।
मेरा भेद जानने को, बच्चों को जासूस बनाने वाली लड़की।।
मेरी कमियाँ मेरे किस्से, सखियों को बताने वाली लड़की।
मेरे रूठ जाने पर, पाती भेज मनाने वाली लड़की।।
कहते हैं मेरे मित्र सभी, अब कैसी होगी वो लड़की।
अब वो गालियाँ सूनी सूनी हैं, और सूनी सी है वो खिड़की।।
अब ललाट पर चिंतन है और चेहरे पर वो खुशी नहीं।
वो अल्हड़ सी बचपन जैसी अविरत हंसने वाली लड़की।।
करके बहाना पीर उदर की, करवा चौथ करने वाली लड़की।
मेरी पसंद का सदैव, सादा परिधान पहनने वाली लड़की।।
बात बात पर दूर जाने की, मीठी धमकी देने वाली लड़की।
ये कहकर फिर रोने लगती, वो प्यारी भोली भाली लड़की।।
वो मासूम मुखड़े वाली लड़की, मोटी मोटी आंखों वाली लड़की।
चली गयी बहुत दूर कहीं, सपनों में आने वाली लड़की।।
साँसों की चारदीवारों में , उसे मनचित्रों में केवल पाता हूँ।
हे पन्नों! मैं तुम्हें मात्र वो काल्पनिक प्रेम बताता हूँ।।
मधुर मोह मनभावन सी, पायल खनकाने वाली लड़की।
कब तक करे आसरा उसका, जो नहीं है आने वाली लड़की।।
कभी कभी नम होते हैं नयन, जब लिखते भाव प्रेम विरह की।
कितनी पीड़ा होगी उस हृदय में, जिसे मिली थी ऐसी लड़की।। |
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